Abstract
International Journal of Advance Research in Multidisciplinary, 2023;1(1):240-244
शारीरिक एवं मानसिक तनाव तथा समय के दबाव का तीरंदाजी कौशल पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन
Author : परवेज अली, डॉ. योगेश कुुमार
Abstract
‘‘शरीर माद्यम् खलु धर्म साधनम्‘‘ अर्थात् शरीर ही सभी धर्मों को धारण करने का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। अस्वस्थ व्यक्ति किसी भी कार्य को सम्पादित नहीं कर पाता है। कहा गया है- ‘‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।‘‘ स्वस्थ शरीर आत्मा का मेहमान कक्ष है और अस्वस्थ जेल के समान है। यह प्रसिद्ध उक्ति फ्रांसिस बेकन की है। इसी उद्देश्य को लेकर यूनानी ‘शारीरिक-शिक्षा‘ को विशेष महत्व प्रदान करते थे। प्रारम्भ में शारीरिक-शिक्षा व खेल व्यक्ति के शारीरिक विकास तक ही सीमित थी। कालांतर में इसका क्षे़त्र विस्तृत हो गया और इसकी नवीन अवधारणायें जन्म लेती गयी। आधुनिक युग में शारीरिक-शिक्षा न केवल शारीरिक, अपितु, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक विकास करने के साथ-साथ आर्थिक विकास के लक्ष्यों को भी अपने अन्दर समाहित कर चुकी है। क्योंकि ‘‘एक बालक जब खेल के मैदान में जाता है और शारीरिक खेल खेलता है तब उसके शरीर के साथ-साथ उसका मस्तिष्क भी क्रिया करता है।‘‘ आधुनिक काल में खेल व्यवसायिक रूप ग्रहणकर चुकी है। कोई भी व्यवसाय या शिक्षा पद्धति हो खेल दर्शन ही उसके नीति निर्धारित के लिए दिशा प्रदान करता है, सीखे हुये ज्ञान एवं कौशलों का प्रयोग करना बताता है विश्वासों, मान्यताओं व मूल्यों को स्पष्ट करता है। खेल का अपना एक अलग ही प्रभाव है। इसलिए शोधकर्ता ने स्वैच्छिक रूप से प्रस्तुत शोध शीर्षक को शोध कार्य हेतु चुना है।
Keywords
शरीर, स्वस्थ मस्तिष्क, शारीरिक-शिक्षा, फ्रांसिस बेकन