Abstract
International Journal of Advance Research in Multidisciplinary, 2023;1(1):394-399
लखनऊ शहर में नगरीकरण विकास और पर्यावरण प्रदूषणः एक अध्ययन
Author : Dr. Babita Singh
Abstract
लखनऊ शहर भारत में सबसे तेजी से बढ़ते शहरों में से एक है। हाल के दशकों में इसे आकारिकी और जनसांख्यिकी दोनों तरह से विकसित होते देखा गया है। लखनऊ शहर स्थानिक रूप से वर्ष 1951 में 48 वर्ग किमी से बढ़कर 1991 में 350 वर्ग किमी हो गया है। शहरीकरण की तीव्र दर और प्रचुर आकर्षण कारकों की उपस्थिति के साथ शहर ने अपने पड़ोसी जिलों के साथ-साथ राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित किया है। क्षेत्र और जनसंख्या दोनों के संदर्भ में शहर के इस विकास ने इसके प्रातिक और मानव निर्मित संसाधनों पर दबाव डाला है। जनसंख्या में वृद्धि और परिणामस्वरूप परिवहन के साधनों में उछाल, निरंतर विकासात्मक परियोजनाएं आदि ने शहर में वायु की गुणवत्ता में गिरावट के साथ सीधा संबंध दिखाया है। इसका मुख्य कारण नदी में छोड़े जाने से पहले अपशिष्ट जल का अप्रभावी उपचार है। शहर के विभिन्न भागों में ध्वनि का स्तर लगातार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित अधिकतम स्वीकार्य मानकों से अधिक है। शहर में उत्पादित ठोस अपशिष्ट के उचित प्रबंधन में लखनऊ नगर निगम की अपर्याप्तता और अक्षमता भी पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा है।
Keywords
जनसांख्यिकी, विकासात्मक, परियोजनाएं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड