Abstract
International Journal of Advance Research in Multidisciplinary, 2024;2(3):277-280
भारतीय परम्परागत् चित्रकला में खनिजों की भूमिका
Author : डाॅ. सविता प्रसाद
Abstract
भारतीय पारंपरिक संस्कृति हमेशा से एक महत्वपूर्ण विरासत रही है। जहाँ कला सांस्कृतिक मूल्यों को व्यक्त करने और संरक्षित करने में एक मौलिक भूमिका निभाती है। संस्कृति सभ्यता से अधिक आवश्यक है। क्योंकि यह केवल भौतिक आवश्यकताओं से परे मानव जीवन को गहराई और अर्थ प्रदान करती है। कला, संस्कृति का मूल होने के नाते, सामाजिक विभाजनों को पार करती है और सार्वभौमिक मूल्यों का संचार करती है। यह शोधपत्र भारतीय पारंपरिक चित्रकला में खनिज रंगों के उपयोग की खोज करता है, उनके ऐतिहासिक महत्व और सौंदर्य योगदान पर प्रकाश डालता है। प्रागैतिहासिक गुफा चित्रों से लेकर समकालीन लघु कला तक, सोने, चांदी और कीमती पत्थरों जैसे खनिजों के समावेश ने भारतीय कला रूपों को समृद्ध किया है। अध्ययन इस बात पर जोर देता है कि प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक की कलात्मक प्रथाओं में इन खनिजों का उपयोग कैसे किया गया है, जिसमें भित्ति चित्र और लघु चित्रों में उनका उपयोग भी शामिल है। यह ब्रज और नाथद्वारा जैसे क्षेत्रों में रत्न. जड़ित कला के आधुनिक पुनरुद्धार की भी जांच करता है, जो भारतीय कला में चल रही विरासत और नवाचार को दर्शाता है।
Keywords
भारतीय पारंपरिक कला, खनिज रंग, सांस्कृतिक विरासत, प्रागैतिहासिक कला, लघु चित्र, रत्न-जड़ित कला, ब्रज कला, नाथद्वारा शैली