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Article Abstract

International Journal of Advance Research in Multidisciplinary, 2023;1(1):864-868

नक्सलवाद अपने अवसान की ओरः एक विश्लेषण

Author : डाॅ. (श्रीमती) नीरज

Abstract

नक्सलवाद भारत की समस्या जो एक आतंकवाद के रूप में विस्तृत हो रही थी, भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश के लिए एक विकट समस्या का रूप धारण कर चुकी थी। नक्सलवाद का भारत में प्रारम्भ वर्ष 1967 में हुए किसान विद्रोह से हुआ था। नक्सलवाद असमान आर्थिक विकास व वर्गीय विभेद के कारण उत्पन्न हुआ। नक्सलवाद माओवाद से प्रेरित विद्रोद था, जो धीरे-धीरे विद्रोह से आगे बढ़कर एक आन्दोलन के रूप में बढ़ने लगा। नक्सलवादी आन्दोलन में वे सभी समाज के लोग शामिल हो रहे थे जो छुआछूत, जातपात का शिकार बने थे। इस आन्दोलन में बुद्धिजीवी लोग भी इसका हिस्सा बन रहे थे। नक्सलवाद का प्रभाव बंगाल, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, झारखण्ड, उत्तराखण्ड का सीमायी क्षेत्र, उत्तर प्रदेश का पूर्वी इलाका, महाराष्ट्र, कर्नाटक व केरल तक विस्तृत रूप से फैला हुआ है। सरकार द्वारा नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए बहुत प्रयास किये गये जैसे ‘‘आॅपरेशन ग्रीन हंट’’, ‘‘ग्रे-हाउड़स’’, ‘‘सलवा जुडूम’’, विशेष सी0आर0पी0एफ0 बटालियन की कोवरा के रूप में स्थापना। सरकार द्वारा नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए समस्त सरकारी सुविधायें नक्सलवाद से जुड़े लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया गया जिससे सभी नक्सली आन्दोलन से जुड़े लोग आम जनमानस की तरह जीवन यापन करने लगें और यह सरकार की योजना काम भी करने लगी। वर्तमान में नक्सलवाद अपने अवसान की ओर बढ़ रहा है और धीरे-धीरे समाप्ति की सीमा तक पहुँच जायेगा। जिससे भारत नक्सलवाद से मुक्ति पा लेगा।

Keywords

नक्सबाड़ी, आर्थिक विषमताएँ, माक्र्सवादी विचारधारा, साम्राज्यवाद, शोषण, विद्रोह।