Article Abstract
International Journal of Advance Research in Multidisciplinary, 2023;1(1):877-880
भारतीय शिक्षा में प्राथमिक शिक्षा के विकास में संचालित विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों का विश्लेषण
Author : गीता पाण्डेय, डाॅ. प्रवीन त्रिपाठी
Abstract
प्राथमिक शिक्षा समाज की प्रगति का मुख्य आधार है यही कारण है कि आधुनिक युग में प्राथमिक शिक्षा का स्तर समाज की समृद्धि का सूचक माना जाता है। शिक्षा का स्तर ऊँचा करने के लिये शिक्षकों पाठ्यक्रमों, शिक्षण विधि, पाठ्य पुस्तक, विद्यालय भवन आदि में सुधार के लिए प्रयासरत हैं। जो समाज अथवा राष्ट्र जितना जागरूक होगा उतनी ही सीमा तक प्राथमिक शिक्षा पर ध्यान देगा वास्तव में जन चेतना के लिये प्राथमिक शिक्षा की अनिवार्यता है। शिक्षा वह गतिशील एवं सामाजिक प्रक्रिया है जो मनुष्य की आन्तरिक शक्तियों का सर्वांगीण विकास करने में सहायता देती है जिससे वह अपने समाज, राष्ट्र, विश्व और सम्पूर्ण मानवता के हित में चिन्तन, संकल्प और कार्य कर सके। देश को अभी भी प्राथमिक शिक्षा के सर्वसुलभीकरण के व्यापक लक्ष्यों को प्राप्त करना है जिसका तात्पर्य है कि सभी बस्तियों में स्कूली सुविधायें प्रदान करके सत् प्रतिशत नामांकन तथा बच्चों को स्कूल में बनाये रखना और इस अन्तर को पूरा करने के लिये सरकार ने देश की साक्षरता बढाने में देश में अनेक राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाये गये जैसे अनौपचारिक शिक्षा कार्यक्रम (1929), आॅपरेषन ब्लैक बोर्ड योजना (1987), बेसिक शिक्षा परियोजना (1993), जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम (1994), मध्यान्ह भोजन योजना (1995), शिक्षा गारन्टी योजना (1999), अनौपचारिक शिक्षा (2001) जो निम्नलिखित रूप से उल्लेखित किया गया है। प्राथमिक स्तर पर अनौपचारिक शिक्षा से पूर्व प्रौढ शिक्षा, समाज शिक्षा, जन शिक्षा, सामुदायिक शिक्षा, जनता शिक्षा, बेसिक शिक्षा, जीवन पर्यन्त शिक्षा, कार्यात्मक साक्षरता, कार्यात्मक साक्षरता का जन कार्यक्रम, श्रमिक शिक्षा, सतत् शिक्षा तथा अनौपचारिक शिक्षा आदि अनेक नामों से ये कार्यक्रम संचालित रहे हैं।
Keywords
भारतीय शिक्षा, प्राथमिक शिक्षा, पाठ्य पुस्तक, सामाजिक प्रक्रिया, बेसिक शिक्षा परियोजना