Article Abstract
International Journal of Advance Research in Multidisciplinary, 2023;1(1):04-09
प्रकृति और मानव विकास के दो प्रतिमान; क्या वे तुलनीय है?
Author : दिग्विजय विश्वकर्मा
Abstract
प्रकृति और मानव का संबंध वर्तमान समय में सबसे नाजुक दौर में पहुंच गया है। हजारों सालों से प्रकृति और मानव के बीच गहरा संबंध रहा है, किंतु वर्तमान समय में मानव अपना विकास करने के लिए प्रकृति का निरंतर शोषण कर रहा है। अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के बजाय आज मनुष्य अपने शौक को पूरा करने तथा भोग विलास से भरे जीवन को प्राप्त करने के लिए प्रकृति का अंधाधुंध शोषण कर रहा है। यह प्रकृति और मनुष्य के संबंधों में संघर्ष के लिए सबसे अधिक उत्तरदायी कारण है। प्रकृति के साथ मानव का संबंध कितना मधुर व सहज होना चाहिए यह हमें भारतीय/हिंदू संस्कृति में देखने को मिलता है, जो हजारों वर्षों से अपनी परंपराओं का निर्बाध रुप से पालन कर रही है।
Keywords
प्रकृति, मानव विकास, हिंदू संस्कृति