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Article Abstract

International Journal of Advance Research in Multidisciplinary, 2025;3(1):105-107

शिवानी के कथा साहित्य में मानवीय सरोकार

Author : डॉ. यशवीर दहिया

Abstract

शिवानी जी की कथा शैली में मनुष्य जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरी और सरल दृष्टि प्रस्तुत की जाती है। उनका उद्देश्य श्रोताओं को आत्मज्ञान, मानसिक शांति और जीवन में संतुलन लाने के लिए प्रेरित करना होता है। शिवानी जी की कथा में व्यक्ति के आंतरिक जगत को जागृत करने का प्रयास किया जाता है। वे शांति, प्रेम और आंतरिक संतुलन के महत्व पर जोर देती हैं। उनका मानना है कि जीवन में आने वाली समस्याओं को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए। नकारात्मकता से दूर रहकर हम अपनी समस्या का समाधान बेहतर तरीके से ढूंढ सकते हैं। शिवानी जी रिश्तों की अहमियत पर भी प्रकाश डालती हैं। वे बताती हैं कि रिश्तों में प्रेम, समझदारी और विश्वास सबसे महत्वपूर्ण हैं। वे हमेशा यह सिखाती हैं कि हमें सभी इंसानों को समान रूप से देखना चाहिए, चाहे उनकी स्थिति, जाति, धर्म या अन्य कोई भेदभाव क्यों न हो। शिवानी जी यह भी मानती हैं कि मनुष्य को स्वयं पर विश्वास रखना चाहिए और अपने आत्मबल को पहचानना चाहिए, क्योंकि यही हमें जीवन की कठिनाइयों से निपटने में मदद करता है। उनकी कथा में ध्यान और साधना के महत्व को भी बताया गया है। यह व्यक्ति को मानसिक शांति, संतुलन और आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद करती है। इस तरह, शिवानी जी की कथा जीवन के हर पहलू को समझने और जीने की कला को सरल और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करती हैं।

Keywords

शिवानी, मनुष्य जीवन, शांति, प्रेम और आंतरिक संतुलन, मानसिक शांति, संतुलन और आंतरिक