Article Abstract
International Journal of Advance Research in Multidisciplinary, 2025;3(1):238-242
वैश्विक संदर्भों में विभिन्न सामाजिक स्थितियों में किशोर अपराध की प्रवृत्ति
Author : रीतू पटवा, संतोष साल्वे
Abstract
किशोर अपराध की अवधारणा विकसित हो रही है, जिसे हाल ही में "कानून से संघर्षरत किशोर" कहा गया है, हालाँकि समाजशास्त्रीय चर्चाओं में पारंपरिक शब्दावली अभी भी प्रचलित है क्योंकि यह समाजशास्त्रियों को स्पष्ट अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। यह अध्ययन किशोर अपराध के वैश्विक रुझानों की जाँच करता है और विभिन्न देशों में किशोर अपराधों की घटनाओं, प्रकृति और प्रकारों में महत्वपूर्ण भिन्नता को उजागर करता है। यह अध्ययन बताता है कि किशोर अपराध के लिए ऊपरी आयु सीमा राष्ट्रीय संदर्भों के आधार पर काफी भिन्न हो सकती है। भोपाल स्थित बाल सुधार गृहों में रहने वाले किशोर अपराधियों के साथ अनुभवजन्य जाँच की गई। यह एक समग्र संस्था है जिसकी परिकल्पना एर्विंग गोफमैन ने की थी। अध्ययन से पता चला है कि पिछले कुछ वर्षों में ऐसे गृहों में रहने वाले बच्चों की संख्या में कमी आई है, जिससे क्षेत्र में बाल अपराधों की घटनाओं में कमी का संकेत मिलता है। इस गिरावट का कारण बाल अपराधों से संबंधित वैचारिक ढाँचे में बदलाव या स्थानीय समुदायों में जीवन स्थितियों में सुधार हो सकता है।
Keywords
किशोर अपराध, कानून, उजागर, अवधारणा, बाल सुधार गृह