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ISSN : 2583-9667, Impact Factor: 6.038

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Article Abstract

International Journal of Advance Research in Multidisciplinary, 2023;1(1):873-876

भारतीय शिक्षा इतिहास में महर्षि पतंजलि के विभिन्न-विभिन्न शिक्षा दर्शन की उपादेयता का संक्षिप्त मूल्यांकन

Author : मनोज कुमार सकलानी, डाॅ. विकेश कामरा

Abstract

दर्शन मनुष्य के चिन्तन की उच्चतम सीमा है। इसमें सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड एवं मानव जीवन के वास्तविक स्वरूप, सृष्टि-सृष्टा, आत्मा-परमात्मा, जीव-जगत, ज्ञान-अज्ञान, ज्ञान प्राप्त करने के साधन और मनुष्य के करणीय तथा अकरणीय कर्मों का तार्किक अध्ययन किया जाता है। दर्शन आंग्ल भाषा के फिलासफी शब्द का रूपान्तर है जिसकी उत्पत्ति ग्रीक भाषा के दो शब्दो ‘फिलोस’ तथा ‘सोफिया’ से हुई है फिलोस का अर्थ है प्रेम तथा अनुराग और सोफिया का अर्थ है-ज्ञान। इस प्रकार फिलासफी या दर्शन का शाब्दिक अर्थ ज्ञान अनुराग अथवा ज्ञान का प्रेम है। संस्कृत में दर्शन शब्द ‘दृश’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है ‘देखना’ ‘दृश्यते अनेन इति दर्शनम्’ अर्थात् जिससे देखा जाये अर्थात् सत्य के दर्शन किये जायें, वह दर्शन है। प्लेटो के अनुसार पदार्थों के सनातन स्वरूप का ज्ञान प्राप्त करना ही दर्शन है।

Keywords

भारतीय शिक्षा, प्राथमिक शिक्षा, पाठ्य पुस्तक, सामाजिक प्रक्रिया, बेसिक शिक्षा परियोजना